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Wednesday, March 14, 2012

भारतीय राजनीति का बदलता स्वरूप आज अैार कल


एक समय था, जब राजनीति केवल देशहित के लिए की जाती थी। गाँधी, नेहरू का जमाना था, जिसमें राजनीति का केवल एक मकसद था देशहित।
गाँधी जी ने ऐसी राजनीति की जिसने देश को आजादी की राह दिखाई। देश के लिए  राजनीति करते हुए बडे बडे नेता सलाखों के पीछे चले गए,पर आज की राजनीति देशहित को छोड कर केवल स्वहित पर आधारित है। आज भी नेता जेल जा रहे हैं पर देश के लिए नही अपनी भ्रष्टाचारी प्रवृत्ति के कारण। राष्ट्रमंडल खेलों मे हुई धंाधली और टेलीकाॅम घोटाले किसी से छुपे नही है।




आज की राजनीति एक शर्मनाक मोड़ ले चुकी है। आज की राजनीति एक शर्मनाक मोड़ ले चुकी है। कहीं जूते फेंके जा रहे हैं तो किसी को सरेआम थप्पड़ मारा जा रहा है, थप्पड़ और जूतों से बात नही बनीं तो मुँह पर स्याही भी फेंक दी गई।
हमारी राजनीति एक भयानक मोड़ ले चुकी है, अगर ये हमारी नई राजनीति का आगाज है तो इसका अंजाम क्या होगा।
किसी भी देश की राजनीति उस देश का आइना होती है। हमें अपने आइने को फिर से चमकदार बनाना होगा, जिसमें प्रत्येक नागरिक और देश की छवि स्पष्ट दिखाई दे। 








प्रियंका श्रीवास्तव 

Student
University of Allahabad

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