क्या किसी ने सोचा था की हमारी राजधानी में एक ही समय पर दो गाव के छोरे छाए रहेंगे । जी हा ! एक छोर पर राष्ट्रपति प्रणब मुख़र्जी साहब तो दूसरी तरफ जिसे आखरी जंग का अड्डा कहा जा रहा हैं - जंतर मंतर पर समाजसेवी अन्ना । आज अन्ना के मंच से ये स्पस्ट कर दिया गया कि टीम अन्ना, पोलिटिकल पार्टी का गठन करेगी । पिछले वर्ष जब एक लेख में मैंने कहा कि यह क्रांति नहीं हैं बल्कि पालिटिकल पार्टी बनाने का जुगाड़ हैं तब मुझे गलत कहा गया, यहाँ तक कि मेरी ट्विट्टर पेज पर मुझे देशद्रोही मानसिकता का बताया गया । मेरे गुरु धनंजय चोपड़ा ने जब कहा कि ये भीड़ नहीं समर्थको का ड्रामा हैं, तब उन्हें भी गलत करार दिया गया ।
इसी तरह जब मैंने लिखा कि कलाम को नहीं बल्कि मुख़र्जी जी को ही राष्ट्रपति बनना चाहिए तब मुझे दोबारा पागल कहा गया, इतने कमेन्ट मुझे कभी नहीं आए जितने इन दोनों पर किये गए, और वो भी नकारात्मक । चलो कुछ दिन बाद ही सही मुख़र्जी साहब रायसीना गए राष्ट्रपति कि गद्दी पर विराजित हो गए तो आज
अन्ना पालिटिकल पार्टी के बारे में भी घोषणा कर दी गयी ।
मेरा ये स्पस्ट मानना हैं कि जो दिखता हैं वो होता नहीं । जब मैंने पिछले साल अन्ना के जन लोक पाल बिल को पढ़ा था तब मै एक और प्रसिद्ध इलाहाबादी, प्रेस कौंसिल ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष जस्टिस काटजू, के उस दृष्टिकोण से सहमत हू कि करोड़ से भी ज्यादा सरकारी अधिकारियों के लिए हमें कम से कम लाख लोकपाल चाहिए फिर उन लाख के लिए कुछ हज़ार फिर हज़ार के लिए सौ और उन सबके ऊपर एक प्रधान लोकपाल । अंत में होगा ये कि ये लोकपाल बयादोहन करनेवाले बन जायेंगे । हमारा भ्रष्ट राष्ट्र महा-भ्रष्ट हो जायेगा ।
ये तो सब जानते हैं कि जो समर्थक हमें दिख रहे हैं वो इस बिल को रामवाण मानते हैं और अन्ना को भगवान राम । ऐसी मुद्दों पर भावुक पैजामा पहनकर, ‘भारत माता की जय’ चिल्लाकर कुछ नि प्राप्त होगा । ज़रूरत हैं कुछ सार्थक कदम उठाने की । पर ठहरिये अब ये 'भारत माता की जय', '
अन्ना पालिटिकल पार्टी ' की जय में बदल गया हैं ।
मुझे तो डर हैं की कही अन्ना मोदी और राहुल गाँधी की तरह अगले प्रधानमंत्री बनने का सपना न देख लिए हो । खैर, अनशन की नौटंकी भी ख़तम होने वाली हैं क्योकि अन्ना ने खुद इसकी घोषणा कर दी ।
जय हो '
अन्ना पालिटिकल पार्टी ' की ।
Prateek Pathak
Student
University of Allahabad
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