Wednesday, October 12, 2011

Juvenile and Journalist might transport synchronization








हिंदुस्तान सांस्कृतिक वैविध्य का देश है। यहां सामाजिक समरसता के लिए जरूरी है कि हम सहिष्णु बनें। इसके लिए दूसरे धर्मो और जातियों के बारे में और ज्यादा जानने की जरूरत है। निहित कारणवश सामाजिक समरसता लाने में राजनीति की सीमाएं हैं। ऐसे में सिर्फ युवा और पत्रकार ही समरसता ला सकते हैं। यह विचार सीएमपी डिग्री कालेज के महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्षसमाजशास्त्री डॉ. हेमलता श्रीवास्तव ने बतौर मुख्य वक्ता दैनिक जागरण के पूर्व संपादक नरेंद्र मोहन की 77 वीं जयंती पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के निराला सभागार में आयोजित परिचर्चा राष्ट्र निर्माण में सामाजिक समरसता का योगदान में व्यक्त किया। डॉ. हेमलता ने कहा कि केवल कानून बनाकर समस्याओं का समाधान नहीं किया जा सकता। अगर ऐसा होता तो दहेजकन्या भू्रण और समगोत्रीय विवाह को लेकर होने वाली हत्याओं पर बहुत पहले ही रोक लग गई होती। इससे पूर्व कार्यक्रम के मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय समेत सभी सम्मानित अतिथियों ने स्व. नरेंद्र मोहन के चित्र पर पुष्प अर्पित किए। यह कार्यक्रम दैनिक जागरण और सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज की ओर से आयोजित किया गया। परिचर्चा में बोलते हुए न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय ने कहा कि जो बात मन में होउसे निर्भीकता से कहना ही सच्चे पत्रकार का गुण है। नरेंद्र मोहन ऐसे ही पत्रकार थे। उन्होंने पिं्रट मीडिया को विश्वसनीयता दी और सामाजिक समरसता को बढ़ाने में योगदान दिया। उन्होंने कहा कि स्व.नरेंद्र मोहन को जितना ही पढ़ेंगे और जानेंगेउतना ही जीवन में सफल होंगे। परिचर्चा के विषय का प्रवर्तन करते हुए इलाहाबाद प्रेस रिपोर्टर्स क्लब के अध्यक्ष रतन दीक्षित ने कहा कि स्व.नरेन्द्र मोहन ने भाषाई पत्रकारिता को नया तेवर और कलेवर दिया। बाजारवाद और सामाजिक सरोकारों के बीच अद््भुत संतुलन स्थापित करते हुए उन्होंने राष्ट्रीय अस्मिता और मानवीय मूल्यों की अभिवृद्धि के लिए सार्थक प्रयास किए। वे सही मायनों में एक संस्था थे।







 इलाहाबाद विवि के सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज के कोर्स कोआर्डिनेटर धनंजय चोपड़ा ने कहा कि उस दौर में पत्रकार काम करते हुए ही सीखता था और औपचारिक डिग्री या प्रशिक्षण की जरूरत नहीं थी। नरेन्द्र मोहन ने विदेश से पत्रकारिता का प्रशिक्षण प्राप्त कियाजो उनकी व्यवसायगत प्रतिबद्धता को दर्शाता है। सामाजिक समरसता को बढ़ाने के लिए जरूरी है कि हम लोगों के बीच से ही प्रतीक और चरित्र ग्रहण करें तथा मीडिया को स्थानीयता की ओर उन्मुख करें। गीतकार यश मालवीय ने भारतीयता और राष्ट्रवाद के अंतर को रेखांकित किया। उन्होंने नरेंद्र मोहन को याद करते हुए कहा- रास्तों ! कहां गए वे लोगजो आते जातेमेरे आदाब पर कहते थे जीते रहो। उन्होंने कहा कि वे असहमति के स्वर को भी पूरा महत्व देने वाले व्यक्ति थे। यह उनकी समरसता का उदाहरण है। वरिष्ठ पत्रकार राम नरेश त्रिपाठी ने कहा कि नरेंद्र मोहन ने धर्म और अध्यात्म को समाज में उसकी भूमिका के अनुरूप अखबार में पहली बार स्थान दिया। आपातकाल के दिनों में उन्होंने समझौता नहीं किया। उनकी दृष्टि विभेदवादी नहीं थीयही कारण है कि सामाजिक समरसता की स्थापना में उनका महान योगदान हमेशा याद किया जाएगा। दैनिक जागरण इलाहाबाद के महाप्रबंधक गोविंद श्रीवास्तव ने सभी अतिथियों के प्रति आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का संचालन दैनिक जागरण इलाहाबाद के संपादकीय प्रभारी सद्गुरुशरण अवस्थी ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पत्रकारों और छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।





Prateek Pathak
Student
B.A in Media Studies
University of Allahabad

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