Wednesday, October 13, 2010

क्यों हुआ भारत शर्मसार ??

राष्टमंडल खेलों में अब कुछ ही दिन बचें है ,पर तैयारिया हैं कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहीं। जो काम हो गया हैं उसमें भी कोई न कोई खामी निकल रही हैं।खामी को छुपाने के लिए बेमतलब के बयान दिये जा रहे हैं।


जब जवाहरलाल नेहरु स्टेडियम में पुल गिरा तो दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित ने कहा कि "वह पुल खिलाडियों के लिए नहीं बनाया गया हैं, बल्कि आम लोगों के लिए बनाया गया है "।चलिये अगर मान भी लें कि वह पुल आम लोगों के लिए बनाया गया हैं तो क्या आम लोगों कि जान दिल्ली सरकार के लिये कोई मायने नहीं रखती ? क्या आम लोगों कि जान जान नहीं है ?पुल का गिरना ,खेलगांव में नल ख़राब होना ,बाथरूम का गंदा होना और वेट लिफ्टिंग स्टेडियम में छत का गिरना , यह सब कलमाड़ी की कलई खोलता है।यह काफी शर्मनाक हैं कि जिन खेलों की पिछले पांच वर्षो से तैयारी चल रही थी ,अरबो रुपए पानी की तरह बहाये गये उनकी तैयारियां न के बराबर हैं।












आम जनता का पैसा बरबाद हो रहा हैं ,मगर सरकार जैसे आंख मूंद कर बैठी हैं और कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रही है।अब तो बस रही-सही इज्जत बची रहे वही काफी हैं।




मरियम सोहैल
बीए इन मीडिया स्टडी
इलाहाबाद विश्वविद्यालय 

 


1 comment:

  1. Humpty Dumpty sat on a wall,
    Humpty Dumpty had a great fall.
    All the king's horses and all the king's men
    Couldn't put Humpty together again.

    That the Humpty Dumpty called the Commonwealth Games had fallen and broken down irreparably was a fact the media had highlighted months ago. Yet all this while, the Organising Committee and the Prime Minister's men were trying to put Humpty together again. Now with the Games just days away and the athletes set to arrive on Sept 23, it's more than evident that even a genie can't set matters right; the latest bridge and ceiling collapse perhaps hammering the point home.

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